04
Apr
रिश्ते Relationships बन तो जाते हैं, लेकिन उन्हें निभाना इतना आसान कहां। आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हम सभी धैर्य, संयम और सुनने-समझने का मोल कमोबेश भूलते जा रहे हैं और इसका असर हमारे सम्बंधों पर पड़ने लगा हैं। अमूमन हम सभी इस उधेड़बुन में कभी न कभी ज़रूर उलझ जाते हैं कि किसी रिश्ते को बचाए रखने के लिए कहां तक झुका जा सकता हैं? यहां प्रश्न यह हैं कि सम्बंध निभाते रहने के लिए किन बातों को नज़रअंदाज किया जा सकता हैं और कौन-सी वे बातें हैं, जिन्हें लेकर समझौता Compromise कतई नहीं किया जाना चाहिए। आइए…