रिश्ते-नाते: रिश्तों में निबाह के लिए हमेशा समझौता करना ही हल नहीं होता!

Compromise Relationships

रिश्ते Relationships बन तो जाते हैं, लेकिन उन्हें निभाना इतना आसान कहां। आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हम सभी धैर्य, संयम और सुनने-समझने का मोल कमोबेश भूलते जा रहे हैं और इसका असर हमारे सम्बंधों पर पड़ने लगा हैं। अमूमन हम सभी इस उधेड़बुन में कभी न कभी ज़रूर उलझ जाते हैं कि किसी रिश्ते को बचाए रखने के लिए कहां तक झुका जा सकता हैं? यहां प्रश्न यह हैं कि सम्बंध निभाते रहने के लिए किन बातों को नज़रअंदाज किया जा सकता हैं और कौन-सी वे बातें हैं, जिन्हें लेकर समझौता Compromise कतई नहीं किया जाना चाहिए। आइए नज़र डालते हैं।

आत्मसम्मान की रक्षा:

एक रिश्ते में सबसे अहम होता हैं आपका आत्मसम्मान। आपकी कुछ बातों को लेकर मज़ाक बनाना या आलोचना करना, साथी की आदत हो सकती हैं, लेकिन यदि यह रोज़ होने लगे, तो समझ जाइए कि ऐसा जानबूझकर किया जा रहा हैं। अगर आपका साथी आपको बुरा महसूस कराने का आदी हैं, आपके व्यक्तित्व और व्यवहार शैली का मज़ाक उड़ाता रहता हैं, तो ऐसे में संभल जाइए और उसे उसकी इस आदत का अहसास दिला दीजिए, क्योंकि आत्मसम्मान से समझौता बाद में घुटन बन जाता हैं।

अपने शौक़ याद रखें:

यदि आप अक्सर महसूस करते हैं कि रिश्ते में आने के बाद आप ख़ुद को लेकर नकारात्मक या उदास होते जा रहे हैं, तो इसे खतरे की घंटी मानें। गर रिश्ते से आपकी ज़िंदगी में ख़ुशी ही नहीं हैं, तो इसके क्या मायने रह जाते हैं? इसके साथ ही अपने शौक़ न भूलें। अपनी अभिरुचियों को पनपने दें। यदि आपका साथी आपकी हॉबीज़ को नापसंद करता हैं, उनका मखौल उड़ाता हैं, तो दुखी या बुरा महसूस न करें। वही करें जो आपको पसंद हैं।

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ख़ुद को न भूलें:

एक रिश्ते में रहते हुए थोड़ा-बहुत बदलना स्वाभाविक हैं, लेकिन आप पूरी तरह बदल जाएं, यह ठीक नहीं हैं। ध्यान रहे कि रिश्ते के मुताबिक़ ढलते हुए आप ख़ुद को ही न भूल जाएं। जिन बातों को लेकर आप महसूस करते हैं कि वह आपकी इंडिविजुएलिटी यानी व्यक्तित्व से जुड़ी हैं, आपके मूल स्वभाव से जुड़ी हैं, तो उन पक्षों पर न झुकें।

निजता भी ज़रूरी है:

अपनी निजता का भी ख़्याल रखें। रिश्ते में होने का अर्थ यह कतई नहीं हैं कि आपकी आज़ादी नहीं बची। अपने पर्सनल स्पेस, मी-टाइम और प्राइवेसी को लेकर समझौता करने से बचें। अगर आपको अकेेले समय बिताना पसंद हैं तो ये बात पहले ही साफ़ कर दें, ताकि बाद में मुश्किल न हो। फाइनेंस और इन्वेस्टमेंट से जुड़े फैसलों में भी बराबर की भागीदारी रखें।

प्राथमिकताएं पहचानें:

हम सब के लिए अपना कॅरियर, पेशा और महत्वाकांक्षाएं बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। एक अच्छा और समझदार साथी हमेशा आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा। लेकिन, जब आप महसूस करें कि आपका पार्टनर आपके लिए रोड़े ही खड़े करता रहता हैं, तो ऐसे रिश्ते की क्या अहमियत रह जाती हैं? एक प्यार करने वाला साथी हमेशा ध्यान रखेगा कि आपके उद्देश्य और प्राथमिकताएं क्या हैं और उन्हें हासिल करने में हमेशा आपकी मदद ही करेगा। इसलिए, अपने कॅरियर से जुड़ी प्राथमिकताओं को लेकर स्पष्ट रहें और समझौता नहीं करें।

दोस्तों की अलग जगह:

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अमूमन देखा जाता हैं कि रिश्ते में दोनों को एक-दूसरे के दोस्तों से असहजता होती हैं। साथी की अपेक्षा होती हैं कि आपके जो दोस्त उन्हें पसंद नहीं हैं, आप उनके साथ समय न बिताएं। ऐसे में खुलकर बात करें कि वे ऐसा क्यूं समझते हैं। गर उनकी बातों में आपको तार्किकता लगे, तो स्थिति को समझें, अन्यथा अपनी दोस्ती पर आंच न आने दें। ज़िंदगी में जैसे आपका रिश्ता अहम हैं, वैसे ही आपके दोस्त भी आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी हैं।

अपनी राय दें:

एक कामयाब रिश्ते की निशानी होती हैं कि आप दोनों, एक-दूसरे के विचारों और सुझावों का सम्मान करें। कोई भी फैसला लेते हुए दोनों की रायशुमारी होना अहम हैं। तसल्ली से उन्हें सुनें, लेकिन ज़रूरी नहीं हैं कि आप हमेशा उनकी बात मानें भी। कुछ बातों को लेकर दोनों की राय अलग होना लाज़िमी हैं। अपने हर फैसले के लिए उनकी हां पर निर्भर नहीं रहें।

परिवार का सम्मान हो:

कई मर्तबा ऐसे हालात बन जाते हैं, जहां आपके साथी और परिवार के सदस्यों के बीच अच्छे रिश्ते नहीं रहते। ज़ाहिर तौर पर ऐसी स्थिति से गुज़रना आसान नहीं हैं। गर आपको लगता हैं कि आपका पार्टनर आपके परिवार के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करता हैं, उनका सम्मान नहीं करता तो आपको इस बारे में सोचने की ज़रूरत हैं, क्योंकि रिश्ता कोई भी हो निबाह दोनों ओर से होना ज़रूरी हैं ।

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