पीरियड्स के दौरान होने वाली कई परेशानी का कारण Endometriosis को सकता हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनिया भर में लगभग 19 करोड़ महिलाएं इसकी शिकार हैं। वहीं द एंडोमेट्रियोसिस सोसाइटी ऑफ इंडिया के अनुसार, भारत में तकरीबन 25 लाख महिलाओं को ये बीमारी हैं।
Endometriosis क्या हैं?
एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं को होने वाली समस्या हैं। इस स्थिति में गर्भाशय के अंदर बढ़ने वाला एंडोमेट्रियम टिशू इसके बाहर भी फैलने लगता हैं। कभी-कभी ये टिशू आंतों और दूसरे प्रजनन अंगों तक भी फैल जाता हैं। एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी गर्भाशय को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती हैं।
एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण:
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में डॉ निवेदिता मिश्रा ने बताया कि एंडोमेट्रियोसिस के ये लक्षण होते हैं।
माहवारी और सेक्स के दौरान कमर के निचले हिस्से और पेट में दर्द होना।
पीरियड्स में ब्लीडिंग ज्यादा होना।
पेशाब के दौरान दर्द (खास तौर पर पीरियड्स के दौरान)।
माहवारी के दौरान थकान, दस्त, कब्ज होना।
कई बार एंडोमेट्रियोसिस बीमारी में ज्यादा दर्द नहीं होता हैं। कुछ मामलों में तो महिलाओं में इस बीमारी के होने के कोई लक्षण भी दिखाई नहीं देते।
महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य से एंडोमेट्रियोसिस का कनेक्शन:
डॉ मिश्रा के मुताबिक, एंडोमेट्रियोसिस के होने से महिलाओं को गर्भधारण करने में मुश्किल का सामना करना पड़ सकता हैं। इससे फैलोपियन ट्यूब और ओवरीज (अंडाशय) पर असर पड़ता हैं, जो महिलाओं में पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग और दर्द की वजह बन सकता हैं। इसमें महिलाओं को कई तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ता हैं। उनमें कई बार बांझपन की समस्या बन जाती हैं।
एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं की ओवरीज में अंडे के हॉरमोनल वातावरण को बदलकर उसे नुकसान पहुंचा सकता हैं,जिससे पेल्विक एरिया में सूजन भी पैदा हो सकती हैं। इसे अलग-अलग कैटेगरीज में रखा जाता हैं: स्टेज-1 (मिनिमम ), स्टेज-2 (माइल्ड), स्टेज-3 (मीडियम) और स्टेज-4 (सीरियस)।
डॉ मिश्रा के अनुसार, स्टेज-4 की महिलाओं को ज्यादा सावधानी की जरूरत होती हैं। इस स्टेज में वो बांझ हो सकती हैं। स्टेज-4 में महिलाओं की ओवरीज डैमेज और फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो जाती हैं।
एंडोमेट्रियोसिस में गर्भ धारण करना:
स्टेज-1 और 2 की महिलाओं को ज्यादा इलाज की जरूरत नहीं होती हैं। वे साधारण रूप से गर्भ धारण कर सकती हैं। यदि एंडोमेट्रियम टिशू को सर्जरी करके अलग कर दिया जाए, तो गर्भावस्था की संभावना बढ़ जाती हैं। स्टेज-3 और 4 में पहुंचने के बाद रेगुलर ट्रीटमेंट जरूरी हो जाता हैं।
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एंडोमेट्रियोसिस में प्रेग्नेंट होने के तरीके:
एग-फ्रीजिंग- एंडोमेट्रियोसिस ओवरीज को नुकसान पहुंचाता हैं इसलिए डॉक्टर आपको अपने अंडे फ्रीज करने की सलाह दे सकते हैं। इन्हें बाद में गर्भधारण करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता हैं।
क्लोमिफेन- फर्टिलिटी बढ़ाने की दवा क्लोमिफेन आपके गर्भधारण करने की संभावना बढ़ा सकती हैं।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF)- IVF प्रेग्नेंसी का एक विकल्प हैं। जो महिलाएं नैचुरल तरीके से प्रेग्नेंट नहीं हो पातीं, वो IVF ट्रीटमेंट की मदद से मां बन सकती हैं। यह एक रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी हैं। इसमें महिला की ओवरी से एग लेकर उसे स्पर्म के साथ फर्टिलाइज किया जाता हैं।