Organ Donor: सबसे छोटे बच्चे का एन-ब्लॉक किडनी ट्रांसप्लांट

Organ Donor En Block Kidney Transplant 

नई दिल्ली: महज 16 महीने के बच्चे के अंगदान (Organ Donor) से दो बच्चे को नई जिंदगी मिली। उसके हार्ट वाल्व से एक और बच्चे की जान बचेगी और दोनों कॉर्निया से दो अन्य बच्चे इस दुनिया को देख सकेंगे। 16 महीने के रिशांत के ब्रेन डेड होने के बाद पूरा परिवार सदमे में था। 05 बहनों के बाद रिशांत के जन्म से पूरा परिवार खुश था लेकिन 16 महीने बाद ही उनकी खुशियों को नजर लग गई। रिशांत छत से गिर गया और इलाज के दौरान ब्रेन डेड की स्थिति में पहुंच गया। ऐसे में परिवार ने हिम्मत दिखाई और इतने छोटे बच्चे के अंगदान का फैसला किया। अब रिशांत दिल्ली-एनसीआर का सबसे कम उम्र का डोनर बन गया हैं।

बच्चे के पिता उपेंद्र राय ने बताया कि डॉक्टर ने मुझे रौली प्रजापति का अंगदान करने वाले माता-पिता की वीडियो दिखाई, उन्होंने समझाया। मैंने पत्नी और बाकी परिजनों के साथ विचार-विमर्श किया और सब ने मिलकर फैसला किया कि हमारे बच्चे के अंगदान से अगर चार घरों के चिराग जलते हैं, तो इसमें क्या दिक्कत हैं। हमने अंगदान का फैसला किया। उपेंद्र ने कहा कि रिशांत हम सब की आंखों का तारा था। उस दिन दुर्भाग्य से सुबह ही काम पर चला गया था। मेरा दिल टूट जाता हैं कि मैंने उसे हमेशा के लिए खो दिया। इसके बावजूद जब मुझे एहसास हुआ कि दूसरे बच्चे की जान बच सकती हैं तो हमने अंगदान का फैसला लिया।

Organ Donor En Block Kidney Transplant 

एम्स ट्रॉमा सेंटर के न्यूरोसर्जन और ऑर्गन डोनेशन प्रोग्राम को लीड करने वाले डॉक्टर दीपक गुप्ता ने बताया कि पिछले चार महीने में एम्स ट्रॉमा सेंटर में 10 अंगदान हुए हैं। औसतन कम से कम एक अंगदान में दो से तीन लोगों की जान बचती हैं। ऐसे में चार महीने में 30 से ज्यादा लोगों को नई जिंदगी मिल चुकी हैं। इस प्रयास को सफल बनाने के लिए हमारी टीम दिन-रात जुटी हैं जिसमें डॉक्टर छवि साहनी, डॉक्टर कोकुला प्रणीथ, डॉ. संजीव लालवाणी, डॉ. प्रशांत जोहारी और कॉर्डिनेटर रचना त्रेहान, सजेश, कनन और बलराम शामिल थे।

ट्रांसप्लांट की भी बढ़ने लगी तादाद

अंगदान बढ़ने से दिल्ली में ट्रांसप्लांट भी बढ़ रहे हैं। जो सर्जरी पहले नहीं होती थी, वह सर्जरी भी होने लगी हैं। जिस अस्पताल में अभी तक एक भी हार्ट ट्रांसप्लांट नहीं हुआ था वहां भी हार्ट ट्रांसप्लांट शुरू हो गया। हाल ही में एम्स ने पहला लंग्स ट्रांसप्लांट किया। उस मरीज को छुट्टी मिली ही थी कि एक और डोनर से लंग्स मिला और दूसरा लंग्स ट्रांसप्लांट हुआ। तीन दिन पहले राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पहली बार हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ। आरएमएल दिल्ली का तीसरा सरकारी अस्पताल बना जहां पर हार्ट ट्रांसप्लांट की सुविधा हैं। डॉक्टरों का कहना हैं कि इस मुहिम को आगे बढ़ाने की जरूरत हैं। अगर ब्रेन डेड की स्थिति बने तो उस व्यक्ति के परिवार को जरूर अंगदान करना चाहिए।

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